फुर्सत के ऐसे क्षणो के लिए आदमी तरस गया है . आज वह मनोरंजन और प्रेम और यहाँ तक कि ध्यान और साधना भी भी *बदहवासी* मे करता है . बस पेंटिंग्ज़ देख कर सुकून पाईए !
कलाकृति आत्मा की स्वप्न भाषा का अनुवाद करने का स्वप्न देखती है. - निर्मल वर्मा. (साभारः आशुतोष भारद्वाज, मति का धीर निर्मल वर्मा, समालोचन ब्लॉगस्पॉट
5 टिप्पणियां:
अब कहां नजर आते हैं ये।
आपके उद्बुद्ध-बलाग को देख कर गर्वान्वित हूं और अपनी हर्षपूर्ण सम्बेदना प्रेषित करता हूं
Tej sethi
फुर्सत के ऐसे क्षणो के लिए आदमी तरस गया है . आज वह मनोरंजन और प्रेम और यहाँ तक कि ध्यान और साधना भी भी *बदहवासी* मे करता है .
बस पेंटिंग्ज़ देख कर सुकून पाईए !
कलाकृति आत्मा की स्वप्न भाषा का अनुवाद करने का स्वप्न देखती है. - निर्मल वर्मा. (साभारः आशुतोष भारद्वाज, मति का धीर निर्मल वर्मा, समालोचन ब्लॉगस्पॉट
बहुत अच्छी पंटिंग। शुक्रिया।
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