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पिछले लगभग दो दशकों से अध्‍यापन. पंजाब में संघोल में खुदाई में मिली यक्षी प्रतिमाओं का साहित्‍य के साथ तुलनात्‍मक अध्‍ययन. यक्ष संस्‍कृतिः शिल्‍प और साहित्‍य पुस्‍तक रूप में प्रकाशित. मुंबई की कान्‍हेरी गुफाओं की बौद्ध प्रतिमाओं का सौंदर्यशास्‍त्रीय अध्‍ययन. मुक्तिबोध की लंबी कविता पर अंधेरे में-विभिन्‍न व्‍याख्‍याएं पुस्‍तक. कलाओं में रुचि.

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    अप्रतिम दीठ
    3 हफ़्ते पहले
  • सोची-समझी
    4 माह पहले
  • blog dhauladhar
    इतणी क गलबात *** अग्गैं-अग्गैं दिन कनैं पिच्छैं-पिच्छैं रात है, इतणी कि सारी दुनिया दी गलबात है। ** रात्ती-रात्ती तिन्हां ही चक्कण चक्की छड्डेया, चढ़दे ध्याड़ैं तारेयाँ दी क्या बिसात है। ** चमकी लै सूरजा तू डोह्ळी-डोह्ळी लोईं जो, दिक्खा क'दी डुब्बदे यो औणी भिरी रात है । ** मनैं-मन घुळा दा ग्लाई हनी होआ दा । बुझरुयें यारैं बुज्झी लैणी मेरी बात है। ** माह्णुयें दी नीत्ता दिक्खि इन्दरू बियाट्टी गेह्या, तौंदिया सुणैह्ट , लह्ँगै सुक्की बरसात है। ** बैन्ड-बाज्जे नाह्रे आळे सारे ह्न दिहाड़ीदार, वोटां दे भखारियाँ दी लग्ग दूई ही जमात है। ** मरने दी बेह्ल कुत्थु छन्निया सम्हाळने ते, सिरे पर ऐ बह्रल कनै मूंह्डैं थम्मी कात है। ** इह्याँ भी नी जीणा देणा बैह्माँ द्याँ पुजारियाँ, जैह्रे दे कटोरे जोग्गा अन्हैं सुकरात है। ** सिक्खी लै माह्णुयें तां चिड़ीयां ते घर बणाणा, जानवरां यो माह्णुयें ते मिल्ली क्या सुगात है। ** चलान्नां कटणे जो हन गरीबां दींयां गड्डीयां, मोटीयां कियाड़ियां जो मिल्लियो रियात है । ** तेज सेठी, लोअर शाम नगर धर्मशाला- 176215 हि० प्र० 08-04-2021
    6 माह पहले
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